Sunday, April 3, 2011

एक आम आदमी


***********आम आदमी( देश की रीढ़)******************
"पत्थर की कोई शिला नहीं हूँ!
खंडहर, सूना किला नहीं हूँ!
जन्मा हूँ मैं हाड़-मांस से,
कंदराओं से मिला नहीं हूँ!

मैंने भी इस वतन की खातिर, अपने तन का लहू बहाया!
शोषण सहकर के भी मैंने, देश को नीचा नहीं दिखाया!

आम आदमी हूँ तो क्या, मेरे जिस्म में जान नहीं है!
क्यूँ मुझको ठुकराते हो, क्या मेरी कौम इंसान नहीं है.............

कागज जैसा जला नहीं हूँ!
और बर्फ से गला नहीं हूँ!
झुलसी सूरत धूप से मेरी,
संसाधन में पला नहीं हूँ!

जून मई की धूप में मैंने, अपना सारा बदन तपाया!
शोषण सहकर के भी मैंने, देश को नीचा नहीं दिखाया!

आम आदमी हूँ तो क्या, मेरे कुछ अरमान नहीं है!
क्यूँ मुझको ठुकराते हो, क्या मेरी कौम इंसान नहीं है.............

"किसी भी देश के उत्थान, निर्माण और गतिमान दशा को मजबूत करने के लिए "आम आदमी" की महत्त्व पूर्ण भूमिका होती है! लेकिन इसके बाबजूद उसका शोषण होता है! तो आइये अपने स्तर से "आम आदमी" के शोषण को कम करने का प्रयास करें-



*********** simple man (the backbone of the country )***************
"do not rock a rock!
Ruins, deserted fort'm not!
I was born bone - meat,
Have not seen the cave!


I also for the sake of the homeland, shed the blood of your body!
I have also suffered abuse, the country did not let down!

So will the common man, life is not in my body!
Why have rejected me, my race is not a human being…………………….

As the paper will not burn!
And snow-strangled'm not!
My scorched face the sun,
Processing'm not up!


May-June in the sunshine, tempered his whole body!
I have also suffered abuse, the country did not let down!

So will the common man, some of my desires is not
Why have rejected me, my race is not a human being.!”

"the rise of any country, state building and moving to strengthen the " common man "full of the important role that! but still it is exploitation! so come to our level" common man "to reduce the exploitation of तरी...

घोर भ्रसटाचार



घोर भ्रसटाचार

भारतीय गरीब है लेकिन भारत देश कभी गरीब नहीं रहा” ये कहना है स्विस बैंक के डाइरेक्टर का. स्विस बैंक के डाइरेक्टर ने यह भी कहा है कि भारत का लगभग 280 लाख करोड़ रुपये (280 ,00 ,000 ,000,000) उनके स्विस बैंक में जमा है. ये रकम इतनी है कि भारत का आने वाले 30 सालों का बजट बिना टैक्स के बनाया जा सकता है. या यूँ कहें कि 60 करोड़ रोजगार के अवसर दिए जा सकते है. या यूँ भी कह सकते है कि भारत के किसी भी गाँव से दिल्ली तक 4 लेन रोड बनाया जा सकता है. ऐसा भी कह सकते है कि 500 से ज्यादा सामाजिक प्रोजेक्ट पूर्ण किये जा सकते है. ये रकम इतनी ज्यादा है कि अगर हर भारतीय को 2000 रुपये हर महीने भी दिए जाये तो 60 साल तक ख़त्म ना हो. यानी भारत को किसी वर्ल्ड बैंक से लोन लेने कि कोई जरुरत नहीं है. जरा सोचिये … हमारे भ्रष्ट राजनेताओं और नोकरशाहों ने कैसे देश को लूटा है और ये लूट का सिलसिला अभी तक 2010 तक जारी है. इस सिलसिले को अब रोकना बहुत ज्यादा जरूरी हो गया है. अंग्रेजो ने हमारे भारत पर करीब 200 सालो तक राज करके करीब 1 लाख करोड़ रुपये लूटा. मगर आजादी के केवल 64 सालों में हमारे भ्रस्टाचार ने 280 लाख करोड़ लूटा है. एक तरफ 200 साल में 1 लाख करोड़ है और दूसरी तरफ केवल 64 सालों में 280 लाख करोड़ है. यानि हर साल लगभग 4.37 लाख करोड़, या हर महीने करीब 36 हजार करोड़ भारतीय मुद्रा स्विस बैंक में इन भ्रष्ट लोगों द्वारा जमा करवाई गई है.
भारत को किसी वर्ल्ड बैंक के लोन की कोई दरकार नहीं है. सोचो की कितना पैसा हमारे भ्रष्ट राजनेताओं और उच्च अधिकारीयों ने ब्लाक करके रखा हुआ है.
हमे भ्रस्ट राजनेताओं और भ्रष्ट अधिकारीयों के खिलाफ जाने का पूर्ण अधिकार है. हाल ही में हुवे घोटालों का आप सभी को पता ही है – CWG घोटाला, २ जी स्पेक्ट्रुम घोटाला , आदर्श होउसिंग घोटाला … और ना जाने कौन कौन से घोटाले अभी उजागर होने वाले है ……॥